हमारा नव वर्ष

नव वर्ष

* हवा लगी पश्चिम की ,
 सारे कुप्पा बनकर फूल गए । *

* ईस्वी सन तो याद रहा ,
पर अपना संवत्सर भूल गए ।। *

* चारों तरफ नए साल का ,
ऐसा  मचा है हो-हल्ला । *

* बेगानी शादी में नाचे ,
 जैसे कोई दीवाना अब्दुल्ला ।।*

* धरती ठिठुर रही सर्दी से ,
घना कुहासा छाया है । *

* कैसा ये नववर्ष है ,
जिससे सूरज भी शरमाया है ।। *

* सूनी है पेड़ों की डालें ,
फूल नहीं हैं उपवन में । *

*पर्वत ढके बर्फ से सारे ,
रंग कहां है जीवन में ।। *

* बाट जोह रही सारी प्रकृति ,
आतुरता से फागुन का । *

* जैसे रस्ता देख रही हो ,
सजनी अपने साजन का ।। *

* अभी ना उल्लासित हो इतने ,
आई अभी बहार नहीं । *

* हम अपना नववर्ष मनाएंगे ,
न्यू ईयर हमें स्वीकार नहीं ।। *

* लिए बहारें आँचल में ,
जब चैत्र प्रतिपदा आएगी । *

* फूलों का श्रृंगार करके ,
धरती दुल्हन बन जाएगी ।। *

* मौसम बड़ा सुहाना होगा ,
दिल सबके खिल जाएँगे । *

* झूमेंगी फसलें खेतों में ,
हम गीत खुशी के गाएँगे ।। *

* उठो खुद को पहचानो ,
यूँ कबतक सोते रहोगे तुम । *

* चिन्ह गुलामी के कंधों पर ,
कबतक ढोते रहोगे तुम ।। *

* अपनी समृद्ध परंपराओं का ,
आओ मिलकर मान बढ़ाएंगे । *

* आर्यवृत के वासी हैं हम ,
अब अपना नववर्ष मनाएंगे ।। *

🙏
SHARE

Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

  • Image
  • Image
  • Image
  • Image
  • Image
    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 comments:

Post a Comment