रोटतीज व्रत कथा

रोटतीज व्रत कथा

Jainvratkatha एक समय विपुलाचल पर श्री‍ वर्धमान स्वामी समवशरण सहित पधारे। तब राजा श्रेणिक ने नमस्कार करके हाथ जोड़कर प्रार्थना करी, कि महाराज...
यह काम परमात्मा का है, परमात्मा जाने।*''

यह काम परमात्मा का है, परमात्मा जाने।*''

एक पुरानी सी इमारत में वैद्यजी का मकान था। पिछले हिस्से में रहते थे और अगले हिस्से में दवाख़ाना खोल रखा था। उनकी पत्नी की आदत थी कि दवाख़ाना ख...