अनोखी दवाई
काफी समय से दादी की तबियत खराब थी । घर पर ही दो नर्स उन की देखभाल करतीं थीं । डाक्टरों ने भी अपने हाथ उठा दिए थे और कहा था कि जो भी सेवा करनी है कर लीजिये । दवाइयां अपना काम नहीं कर रहीं हैं । उसने घर में बच्चों को होस्टल से बुला लिया । काम के कारण दोनों मियां बीबी काम पर चले जाते । दोनों बच्चे बार-बार अपनी दादी को देखने जाते । दादी ने आँखें खोलीं तो बच्चे दादी से लिपट गए । दादी ! पापा कहते हैं कि आप बहुत अच्छा खाना बनाती हैं । हमें होस्टल का खाना अच्छा नहीं लगता ।
क्या आप हमारे लिए खाना बनाओगी ? 'नर्स ने बच्चों को डांटा और बाहर जाने को कहा । अचानक से दादी उठी और नर्स पर बरस पड़ीं । आप जाओ यहाँ से । मेरे बच्चों को डांटने का हक़ किसने दिया है ? खबरदार अगर बच्चों को डांटने की कोशिश की !'
.कमाल करती हो आप । आपके लिए ही तो हम बच्चों को मना किया । बार-बार आता है तुमको देखने और डिस्टर्ब करता है आराम भी नहीं करने देता .'अरे ! इनको देखकर मेरी आँखों और दिल को कितना आराम मिलता है तू क्या जाने ! ऐसा कर मुझे जरा नहाना है . मुझे बाथरूम तक ले चल .'नर्स हैरान थी . कल तक तो दवाई काम नहीं कर रहीं थी और आज ये चेंज .सब समझ के बाहर था जैसे नहाने के बाद दादी ने नर्स को खाना बनाने में मदद को कहा । पहले तो मना किया फिर कुछ सोचकर वह मदद करने लगी । खाना बनने पर बच्चों को बुलाया और रसोई में ही खाने को कहा ।'दादी ! हम जमीन पर बैठकर खायेंगे आप के हाथ से, मम्मी तो टेबल पर खाना देती है और खिलाती भी नहीं कभी ।'दादी के चेहरे पर ख़ुशी थी । वह बच्चों के पास बैठकर उन्हें खिलाने लगी ।
बच्चों ने भी दादी के मुंह में निबाले दिए । दादी की आँखों से आंसू बहने लगे । 'दादी ! तुम रो क्यों रही हो ? दर्द हो रहा है क्या ? मैं आपके पैर दबा दूं ? 'अरे! नहीं, ये तो बस तेरे बाप को याद कर आ गए आंसू, वो भी ऐसे ही खाता था मेरे हाथ से पर अब कामयाबी का भूत ऐसा चढ़ा है कि खाना खाने का भी वक्त नहीं है उसके पास ...और न ही माँ से मिलने का टैम । 'दादी ! तुम ठीक हो जाओ, हम दोनों आपके ही हाथ से खाना खायेंगे । 'और पढने कौन जाएगा ? तेरी माँ रहने देगी क्या तुमको ? ''दादी ! अब हम नहीं जायेंगे यहीं रहकर पढेंगे 'दादी ने बच्चों को सीने से लगा लिया । नर्स ने इस इलाज को कभी पढ़ा ही नहीं था जीवन में । अनोखी दवाई थी अपनों का साथ हिल मिल कर रहने की.
दादी ने नर्स को कहा:-आज के डॉक्टर और नर्स क्या जाने की भारत के लोग 100 साल तक निरोगी कैसे रहते थे। छोटा सा गांव सुविधा कोई नही, हर घर मे गाय, खेत के काम, कुंए से पानी लाना, मसाले कूटना, अनाज दलना, दही बिलोना मख्खन निकलना..एक घर मे कम से कम 20 से 25 लोगों का खाना बनाना कपड़े धोना, कोई मिक्सी नही, नाही वॉशिंग मशीन या कुकर..फिर भी जीवन मे कोई रोग नही मरते दिन तक चश्मे नही और दांत भी सलामत । ये सभी केवल परिवार का प्यार मिलने से होता था।
नर्स तो यह सुनकर हैरान रह गई और दादी दूसरे दिन ठीक हो गई।
आईये बने हम भी दवा ऐसे ही अपनो की.
काफी समय से दादी की तबियत खराब थी । घर पर ही दो नर्स उन की देखभाल करतीं थीं । डाक्टरों ने भी अपने हाथ उठा दिए थे और कहा था कि जो भी सेवा करनी है कर लीजिये । दवाइयां अपना काम नहीं कर रहीं हैं । उसने घर में बच्चों को होस्टल से बुला लिया । काम के कारण दोनों मियां बीबी काम पर चले जाते । दोनों बच्चे बार-बार अपनी दादी को देखने जाते । दादी ने आँखें खोलीं तो बच्चे दादी से लिपट गए । दादी ! पापा कहते हैं कि आप बहुत अच्छा खाना बनाती हैं । हमें होस्टल का खाना अच्छा नहीं लगता ।
क्या आप हमारे लिए खाना बनाओगी ? 'नर्स ने बच्चों को डांटा और बाहर जाने को कहा । अचानक से दादी उठी और नर्स पर बरस पड़ीं । आप जाओ यहाँ से । मेरे बच्चों को डांटने का हक़ किसने दिया है ? खबरदार अगर बच्चों को डांटने की कोशिश की !'
.कमाल करती हो आप । आपके लिए ही तो हम बच्चों को मना किया । बार-बार आता है तुमको देखने और डिस्टर्ब करता है आराम भी नहीं करने देता .'अरे ! इनको देखकर मेरी आँखों और दिल को कितना आराम मिलता है तू क्या जाने ! ऐसा कर मुझे जरा नहाना है . मुझे बाथरूम तक ले चल .'नर्स हैरान थी . कल तक तो दवाई काम नहीं कर रहीं थी और आज ये चेंज .सब समझ के बाहर था जैसे नहाने के बाद दादी ने नर्स को खाना बनाने में मदद को कहा । पहले तो मना किया फिर कुछ सोचकर वह मदद करने लगी । खाना बनने पर बच्चों को बुलाया और रसोई में ही खाने को कहा ।'दादी ! हम जमीन पर बैठकर खायेंगे आप के हाथ से, मम्मी तो टेबल पर खाना देती है और खिलाती भी नहीं कभी ।'दादी के चेहरे पर ख़ुशी थी । वह बच्चों के पास बैठकर उन्हें खिलाने लगी ।
बच्चों ने भी दादी के मुंह में निबाले दिए । दादी की आँखों से आंसू बहने लगे । 'दादी ! तुम रो क्यों रही हो ? दर्द हो रहा है क्या ? मैं आपके पैर दबा दूं ? 'अरे! नहीं, ये तो बस तेरे बाप को याद कर आ गए आंसू, वो भी ऐसे ही खाता था मेरे हाथ से पर अब कामयाबी का भूत ऐसा चढ़ा है कि खाना खाने का भी वक्त नहीं है उसके पास ...और न ही माँ से मिलने का टैम । 'दादी ! तुम ठीक हो जाओ, हम दोनों आपके ही हाथ से खाना खायेंगे । 'और पढने कौन जाएगा ? तेरी माँ रहने देगी क्या तुमको ? ''दादी ! अब हम नहीं जायेंगे यहीं रहकर पढेंगे 'दादी ने बच्चों को सीने से लगा लिया । नर्स ने इस इलाज को कभी पढ़ा ही नहीं था जीवन में । अनोखी दवाई थी अपनों का साथ हिल मिल कर रहने की.
दादी ने नर्स को कहा:-आज के डॉक्टर और नर्स क्या जाने की भारत के लोग 100 साल तक निरोगी कैसे रहते थे। छोटा सा गांव सुविधा कोई नही, हर घर मे गाय, खेत के काम, कुंए से पानी लाना, मसाले कूटना, अनाज दलना, दही बिलोना मख्खन निकलना..एक घर मे कम से कम 20 से 25 लोगों का खाना बनाना कपड़े धोना, कोई मिक्सी नही, नाही वॉशिंग मशीन या कुकर..फिर भी जीवन मे कोई रोग नही मरते दिन तक चश्मे नही और दांत भी सलामत । ये सभी केवल परिवार का प्यार मिलने से होता था।
नर्स तो यह सुनकर हैरान रह गई और दादी दूसरे दिन ठीक हो गई।
आईये बने हम भी दवा ऐसे ही अपनो की.
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