दर्शन और परिवर्तन

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*दर्शन और देखने में अंतर*

एक दिन मेरे एक मित्र ने मुझसे कहा – “ चल मंदिर चलते है ?”

मैंने कहा – “ किसलिए ?”

मित्र बोला – “ दर्शन के लिए !”

मैं बोला – “ क्यों ! कल ठीक से दर्शन नहीं किया था क्या ?”

मित्र – *तू भी क्या इन्सान है ! दिनभर भर एक जगह बैठा रहता है ! पर थोड़ी देर भगवान के दर्शन करने के लिए नहीं जा सकता !*

*मैंने कहा – “ महाशय ! चलने में मुझे कोई समस्या नहीं है । किन्तु आप यह मत कहिये कि दर्शन करने चलेगा क्या ?, यह कहिये कि देखने चलेगा क्या ?*

मित्र बोला – “ किन्तु दोनों का मतलब तो एक ही होता है !”

मैं – नहीं ! दोनों में जमीन आसमान का अंतर है !

मित्र – “कैसे ?”

*कैसे ? यही प्रश्न मैं आपसे भी पूछना चाहता हूँ । अक्सर मैंने देखा है लोग तीर्थ यात्रा पर जाते है किसलिए ?, भव्य मंदिर और मूर्तियों को देखने के लिए, ना कि दर्शन के लिए !*

*अब आप सोच रहे होंगे की देखने और दर्शन करने में क्या अंतर है ?*

*देखने का मतलब है, सामान्य देखना जो हम दिनभर कुछ ना कुछ देखते रहते है । किन्तु दर्शन का अर्थ होता है – जो हम देख रहे है उसके पीछे छुपे तत्थ्य और सत्य को जानना । देखने से मनोरंजन हो सकता है, परिवर्तन नहीं । किन्तु दर्शन से मनोरंजन हो ना हो, परिवर्तन अवश्यम्भावी है ।*

*अधिकांश लोग मंदिरों में केवल देखने तक ही सीमित रहते है, दर्शन को नहीं समझ पाते । फलतः उन्हें वह लाभ नहीं मिल पाता जिसका महात्म्य ग्रंथो में मिलता है । हमारे शास्त्रों में तीर्थयात्रा के बहुत से लाभ बताये गये है किन्तु लोग तीर्थ यात्रा का मतलब केवल जगह – जगह भ्रमण करना और मंदिर और मूर्तियों को देखना ही समझते है । यह मनोरंजन है दर्शन नहीं ।*

*दर्शन क्या है ? दर्शन वह है जो आपके जीवन को बदलने की प्रेरणा दे । दर्शन वह है जो आपके जीवन का कायाकल्प कर दे । दर्शन वह है जो आपके जीवन में आमूल – चुल परिवर्तन कर दे । अंगरेजी में दर्शन का मतलब होता है – फिलोसोफी, जिसका अर्थ होता है –यथार्थ की परख का दृष्टिकोण ।*

*इसी के लिए हमारे वैदिक साहित्य में षड्दर्शन की रचना की गई । जिनमे जीवन के सभी आवश्यक और यथार्थ तत्वों की व्याख्या की गई है ।*

*यदि आप अब भी सोच रहे है कि दर्शन क्या है ? तो फिर जीवन के व्यावहारिक दृष्टान्तों से समझने की कोशिश करते है । रामकृष्ण परमहंस की दक्षिणेश्वर की काली को उनसे पहले और उनके बाद हजारों लोगों ने देखा किन्तु किसी को दर्शन नहीं हुआ । क्यों ? क्योंकि रामकृष्ण परमहंस ने ना केवल काली की मूर्ति को देखा बल्कि उसके दर्शन को समझा इसलिए काली ने रामकृष्ण परमहंस को दर्शन दिया ।*

*भगवान महावीर की मूर्ति के कभी दर्शन कीजिए। मन को शांत करती,एकाग्रता ,संयम, आदि को प्रेरित करती। पर हम दर्शन नहीं करते हम मूर्ति को देखते तभी तो हम भगवान महावीर के प्रेरित कदमों पर नहीं चलते।*

*भगवान श्री राम के मंदिर जाकर उनकी मूर्ति के दर्शन करने का मतलब है उनके जीवन चरित को समझा जाये और उसी के अनुसार अपने जीवन में परिवर्तन किया जाये । यही राम का दर्शन है । यदि आप राम की मूर्ति तो देखते है किन्तु अपने जीवन में कोई परिवर्तन नहीं करते है तो फिर आपको राम के दर्शन का कोई लाभ नहीं मिलने वाला ।*

*यदि आप शिवजी का दर्शन करने जाते है और आपके मन में क्रोध, ईर्ष्या, द्वेष ही भरा है तो फिर दर्शन का क्या लाभ ?*

*यदि आप हनुमानजी का दर्शन करने जाते है और आपका मन पवित्र नहीं है, स्त्रियों पर आपकी गलत दृष्टि है तो फिर हनुमानजी का दर्शन करना बेकार है ।*

*भक्त वही सच्चा, जो है अभी बच्चा । जो बड़ा हो गया वो भक्त नहीं हो सकता और जो भक्त हो गया उसमें बड़प्पन नहीं हो सकता ।*

*आपके दर्शन का क्या अर्थ है !सोचो, समझो और जानो।*
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Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

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