भगवान को जानने (स्वाध्याय) मे किन किन की रुचि नही होती

 *भगवान को जानने (स्वाध्याय) मे किन किन की रुचि नही होती ,,,?*



1 अभव्य जीव- वे जिनका हमेशा बात का विपरित अर्थ निकालने मे दिमाग लगता है।


2 दुरर्भव्य जीव- वे जिनको अभी बहुत दुख भोगने शेष है। संसार मे रुल्ना बाकि है। वैसे भी ये हनेशा कहेंगे कि बहुत समय बाकि है, कौनसा अभी जीवन समाप्त हुआ जा रहा है।


3 अगला जीवन तय- जिनका आगे का जीवन अशुभ गति (नरक या तिर्यंच) मे बन्ध हो चुका है। वे चाहेंगे तब भी धर्म उन्हे समझ नही आयेगा। नीन्द आने लगेगी। जम्भाई लेंगे। बैठने पर शरीर दर्द करने लगेगा। दिखना बन्द हो जायेगा।


4 तीव्र कषाय का उदय- इन्हे अच्छी बान्ते  सुहायेगी ही नही। इन्हे वही विषय अच्छा लगेगा जिसमे राग या द्वेष का पोषण होता हो।


5 बहिर्मुखी जीव- इन्हे इन्द्रिय जनित विषय अच्छे लगेगे। चार विकथाओ के अलावा इनकी सोच मे कभी कुछ आ ही नही सकता ।


जो कोई उम्र के किसी भी पड़ाव मे भगवान को जानने और स्वय की अलोचना मे रुचि हो जाये तो समझो भव्य जीव है। मनुषय या स्वर्ग मे अगला जन्म लेने की संभावना है। कषाये मन्द हुई है या नहीं 🙏🏻

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Milan Tomic

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