धैर्य और सकारात्मकता की सीख*

*धैर्य और सकारात्मकता की सीख*

एक लड़का घर-परिवार, धन और पढ़ाई संबंधी समस्याओं से बहुत परेशान था।  घर में रोज विवाद होता ।उम्र ज्यादा नहीं थी, लेकिन रोज़-रोज़ के विवादों ने उसे अंदर से तोड़ दिया था। निराशा में डूबा हुआ, उसे लगने लगा कि उसकी ज़िंदगी में कोई रास्ता नहीं बचा है।

समाधान की तलाश में परेशानी में वह एक घने जंगल में पहुंच गया। जंगल में दूर दूर तक भटकने के बावजूद उसके मन को शांति नहीं मिली। चारों ओर अंधेरा था, और जंगली जानवरों का खतरा भी था। तभी उसकी नजर एक छोटी-सी झोपड़ी पर पड़ी।

उसके मन में सवाल उठा—"इस सुनसान जंगल में भी ऐसे कौन रह सकता है?" जिज्ञासा से भरा, वह झोपड़ी की ओर बढ़ने लगा।

झोपड़ी के पास पहुँचते ही उसने एक संत को ध्यान की मुद्रा में बैठे हुए देखा। संत के चेहरे पर शांति और प्रसन्नता झलक रही थी। लड़का उनके पास जाकर बैठ गया।

संत ने स्नेहपूर्वक उसका परिचय पूछा। लड़के ने भारी मन से उत्तर दिया, "मैं जीवन में बहुत परेशान हूं और समझ नहीं आ रहा कि क्या करूं। इसीलिए समाधान मेंय हाँ आया हूँ।"

संत तो संत थे ज्ञानी पुरुष, लड़के की पीड़ा तुरंत समझ गए। उन्होंने सहानुभूति से कहा, " बेटा, समस्याएं तो जीवन का हिस्सा हैं। समय एक जैसा नहीं रहता, निराश नहीं होना चाहिए।"

इसके बाद वे लड़के से बोले तुम्हें में एक कहानी सुनाता हूं ध्यान से सुनो और बताओं कि कहानी का सार क्या है? लड़के ने हाँ मै सिर हिलाया!

संत नें कहानी सुनायी ।

"एक छोटे बच्चे ने अपने घर में बांस और कैक्टस के दो पौधे लगाए।"

बच्चा हर दिन दोनों पौधों को एक समान पानी देता और उनकी देखभाल करता। कुछ समय बाद कैक्टस का पौधा तो तेजी से बढ़ने लगा, लेकिन बांस का पौधा जरा भी नहीं बढ़ा।

समय बीतता गया, पर बांस के पौधे में कोई बदलाव नजर नहीं आया। लोलन फिर भी बच्चा निराश नहीं हुआ, उसने लगातार मेहनत जारी रखी।

फिर एक दिन अचानक बांस का पौधा तेजी से बढ़ने लगा और कुछ ही समय में कैक्टस से भी ऊंचा हो गया।

संत ने लड़के से कहा, बेटा जानते हो इसका राज.....

"बांस का पौधा पहले तो अपनी जड़ें मजबूत कर रहा था, इसलिए उसे बढ़ने में समय लगा। लेकिन कभी भी निराश नहीं हुआ, उसने प्रयास जारी रखे।"

"हमारे जीवन में भी दो बातें जरूरी हैं—

1. *धैर्य और सकारात्मकता* बनाए रखना। परिस्थितियाँ कैसी भी हों, आशा नहीं छोड़नी चाहिए।

2. पहले अपनी *जड़ें मजबूत* करें। जब हमारी नींव मजबूत होगी, तो जीवन में सफलता और संतोष भी तेजी से मिलेगा।"

संत की बातें सुनकर लड़के के चेहरे पर संतोष के भाव आ गये उसे बहुत बड़ा समाधान मिल चुका था।  उसे अब एहसास हो गया था कि मुश्किलें स्थायी नहीं होतीं और धैर्य से काम लें तो जीवन बदल सकता है।

उसने नई सोच के साथ जीवन में आगे बढ़ने का निश्चय किया और सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ अपने घर लौट गया।

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Milan Tomic

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